Sunday, January 16, 2011

क्यों .......

किसी  को  बिन  मांगे  वो  पूरी  दुनिया  दे  दे .......
हमें  तो  उनका  एक  पल  भी  नशीब  नहीं  होता ........

जाने  कबसे  छिपाए  बैठे  हम  जिन्हें  इन  नजरो  में
करीब  होके  भी  क्यों  करीब  नहीं  होता .......

किसके बारे में तुम सोचते हो .......

सोचते  थे  दुआओं   में  की  तुम  किसे  नशीब  होगे …
कितना  खुश्नाशीब  होंगे  वो  जिसके  बारे  में  तुम  सोचते  हो ….

जीकर  भी  तुम्हारा  उन्ही  से  करा  किया  हमने  जिसके  बारे  तुम  सोचते  हो …….
काश  की  हम  कभी  जान   न  पाते   की  किसके   बारे  में  तुम  सोचते  हो 

जब की हम सब जानते है …..


क्यों  सोचते  रहते  है  हम  तुम्हारे  ही  बारे  में …?
जब   की  हम  सब  जानते  है …..
एक  तुझ  बिन  जीना  छोड़  के …
जीन्दगी  की  हर  शर्त  मानते  है ….
क्यों  सोचते  रहते  है  हम  तुम्हारे  ही  बारे  में …?
जब  की  हम  सब  जानते  है …..
तुम्हे  जब  भी  देखती  है  नजर  जाने  सब  क्यों  भूल  जाते  है …….
मुस्कुराते  है  हम  भी  उसी पल तुम्हारे   होठ  जिस  पल  मुस्कुराते  है …
 और  ढूंढते  है  तकदीर  अपनी  किसी  टूटे  सितारे  में 
जब  की  हम  सब  जानते  है  फिर  भी 
क्यों  सोचते  रहते  है  हम  तुम्हारे  ही  बारे  में …?
जब  की  हम  सब  जानते  है …..
धड़कने  सुनती  ही  नहीं  हमारी  मन  भी  बेचैन  रहता  है …
लब  कुछ  और  कहते  है  दिल  कुछ  और  कहता  है ….
तुम  ही  समझा  दो  एक  बार  जरा  सब  तुम्हारा  ही  तो  कहा  मानते  है ….
क्यों  सोचते  रहते  है  हम  तुम्हारे  ही  बारे  में …?
जब  की  हम  सब  जानते  है …..

Friday, January 14, 2011

हम जानते थे .......

हम जानते थे उनकी नजरे किसे ढूंढती है
अपनी आँखों से फिर भी  चेहरा उनका हटा न सके

आज भी याद करते मैंने उन्हें उसी को देखा है
अपनी यादो से फिर भी उन्हें मिटा न सके

वो कहते है उसे की किसी और की अमानत है वो
कुछ और भी तो अनकही बाते थी किसी और से शायद  जो बता न सके

खुद को भूला बैठे हम उन्हें भुलाते - भूलाते
एक नाम उन्ही का बस हम भूला न सके

कोई शर्त तो नहीं थी की उन्हें पाए हम 
 संग बोले ,मुस्कुराये  और जीन्दगी में लाये हम
वो खुश है तो हम भी खुश है
पर इन बातो से भी तो इस दिल को बहला न सके

शुरू किया था जहा से ये सफ़र मैंने
हम आज फिर  वही खड़े रह गए
सपने सजे थे जो इन पलकों पर खयालो में ही धरे रह गए
कशिश तो इस दिल में भी उठी न जाने कितनी बार
पर  एहसास एक बार भी इसका उन्हें हम दिला न सके

नजरे यु भी उनसे क्या खूब मिली ...... की आज तक
कभी दिल से फिर मुस्कुरा न सके .......

Monday, January 10, 2011

वो भी चलते रहे हम भी चलते रहे

वो  भी  चलते  रहे  हम  भी  चलते  रहे
उन्होंने  कुछ  न  सुना  और  हम  कहते  रहे
राहे   थम  सी  गई  वक़्त  रूक  सा  गया
फिर  भी  उधर  ही  चले  जिधर  वो  चलते  रहे .......

Sunday, January 2, 2011

बस एक पल लिख दो .......

एक  पहचानी  सी  आवाज
और  सुनने  को  जो  तरसता  है  ये  मन
मेरे  हर  सवालो  का  कोई   हल  लिख  दो .......
एक  नजर जो  मेरी  और  भी  देखे  ऐसी  कोई  नजर  लिख  दो 

बिन  तेरे  खुश  रहे कैसे कोई एक वजह  लिख  दो ......
और  कुछ  नहीं  मांगेगा   ये दिल  तुमसे  इस  वफ़ा  के  बदले
की  अपनी  जींदगी  से  मेरे  नाम  मेरे लिए  अकेले में
बस  एक  पल  लिख  दो .......