हम खुश रहे उन्हें ये भी गवारा नहीं ...
गिला उनसे भी हम क्या करे जब वक्त ही हमारा नहीं ...उन्हें हक नहीं की मुझसे वो मेरे न जीने की वजह पूछे
जब उन्हें मेरी जींदगी में दो पल का भी रुकना गवारा नहीं ....मेरे हर सवाल से वो नजरे कल यु चुरा गए
जैसे उनके जवाब में नाम तक भी हमारा नहीं ... हम तो खामोश बैठे थे जींदगी से दूर एक झुरमुट में ..
वो आये पास और यकी दिला गए ..की इस सफ़र में सच में हमारा अब कोई सहारा नहीं ...
हम किसी के नहीं और कोई हमारा नहीं ....
कोई हमारा नहीं.....