Friday, January 14, 2011

हम जानते थे .......

हम जानते थे उनकी नजरे किसे ढूंढती है
अपनी आँखों से फिर भी  चेहरा उनका हटा न सके

आज भी याद करते मैंने उन्हें उसी को देखा है
अपनी यादो से फिर भी उन्हें मिटा न सके

वो कहते है उसे की किसी और की अमानत है वो
कुछ और भी तो अनकही बाते थी किसी और से शायद  जो बता न सके

खुद को भूला बैठे हम उन्हें भुलाते - भूलाते
एक नाम उन्ही का बस हम भूला न सके

कोई शर्त तो नहीं थी की उन्हें पाए हम 
 संग बोले ,मुस्कुराये  और जीन्दगी में लाये हम
वो खुश है तो हम भी खुश है
पर इन बातो से भी तो इस दिल को बहला न सके

शुरू किया था जहा से ये सफ़र मैंने
हम आज फिर  वही खड़े रह गए
सपने सजे थे जो इन पलकों पर खयालो में ही धरे रह गए
कशिश तो इस दिल में भी उठी न जाने कितनी बार
पर  एहसास एक बार भी इसका उन्हें हम दिला न सके

नजरे यु भी उनसे क्या खूब मिली ...... की आज तक
कभी दिल से फिर मुस्कुरा न सके .......

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