जब की हम सब जानते है …..
एक तुझ बिन जीना छोड़ के …
जीन्दगी की हर शर्त मानते है ….
क्यों सोचते रहते है हम तुम्हारे ही बारे में …?
जब की हम सब जानते है …..
तुम्हे जब भी देखती है नजर जाने सब क्यों भूल जाते है …….
मुस्कुराते है हम भी उसी पल तुम्हारे होठ जिस पल मुस्कुराते है …
और ढूंढते है तकदीर अपनी किसी टूटे सितारे में
जब की हम सब जानते है फिर भी
क्यों सोचते रहते है हम तुम्हारे ही बारे में …?
जब की हम सब जानते है …..
धड़कने सुनती ही नहीं हमारी मन भी बेचैन रहता है …
लब कुछ और कहते है दिल कुछ और कहता है ….
तुम ही समझा दो एक बार जरा सब तुम्हारा ही तो कहा मानते है ….
क्यों सोचते रहते है हम तुम्हारे ही बारे में …?
जब की हम सब जानते है …..
kash ki deemag ki bate ham kabhi dil ko samjha pate.......
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