Monday, December 20, 2010

अब के यूँ दिल को सज़ा दी हमने

अब के यूँ दिल को सज़ा दी हमने
उसकी हर बात भुला दी हमने

एक-एक फूल बहुत याद आया
शाख़-ए-गुल जब वो जला दी हमने

आज तक जिस पे वो शर्माते थे
बात वो कब की भुला दी हमने

शहर-ए-जहां राख से आबाद हुआ
आग जब दिल की बुझा दी हमने

आज फिर याद बहुत आया वो
                                                           आज फिर उसको दुआ दी हमने

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