तो तुम जान जाते हम क्या सोचते है
वो आवाज अगर तुम्हे भेद जाती
तो तुम जान जाते हम क्या सोचते है
जिद का तुम्हारे जो पर्दा सरकता खिडकियों से आगे जो तुम देख पाते
आँखों से जो आदतों के पलके हटाते
तो तुम जन जाते की हम क्या सोचते है
जो कुछ दूर तुम साथ आते
जरा सा रंग सपनों - में जो सजाते
तो तुम जन जाते हम क्या सोचते है
जो लहरों से आगे नजर देख पाती
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