Saturday, December 25, 2010

अल्फाजे ढूंढ रही हूँ

तेरे लिए क्या लिखू कुछ बाते ढूंढ रही हूँ 
अतीत में से धुंधला गई कुछ यादे ढूंढ रही हूँ 
वो कौन सा शब्द कहू जो तेरे प्यार के काबिल बन जाये 
क्या बोल के सजदा करू तेरा वो अल्फाजे ढूंढ रही हूँ 

किस रस्ते पर कदम बढ़ाऊ जो मंजिल तुझे बना दे 
वो कश्ती भी तो नज़र न आये जो साहिल से मिला दे 
मेरी दुआओं में बस एक बार असर हो जाये 
वो फरियादे ढूंढ रही हूँ 

वो रिश्ते ढून्ढ रही हूँ वो नाते ढूंढ रही हूँ 
कर न सके जो वो मुझसे मै वो वादे ढूंढ रही हूँ 
क्या बोल के सजदा करू तेरा वो अल्फाजे ढूंढ रही हूँ



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