तेरे लिए क्या लिखू कुछ बाते ढूंढ रही हूँ
अतीत में से धुंधला गई कुछ यादे ढूंढ रही हूँ
वो कौन सा शब्द कहू जो तेरे प्यार के काबिल बन जाये
क्या बोल के सजदा करू तेरा वो अल्फाजे ढूंढ रही हूँ
किस रस्ते पर कदम बढ़ाऊ जो मंजिल तुझे बना दे
वो कश्ती भी तो नज़र न आये जो साहिल से मिला दे
मेरी दुआओं में बस एक बार असर हो जाये
वो फरियादे ढूंढ रही हूँ
वो रिश्ते ढून्ढ रही हूँ वो नाते ढूंढ रही हूँ
कर न सके जो वो मुझसे मै वो वादे ढूंढ रही हूँ
क्या बोल के सजदा करू तेरा वो अल्फाजे ढूंढ रही हूँ
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